UP News: योगी सरकार की सख्ती का असर, 7 साल में करीब 46 फीसदी घटीं पराली जलाने की घटनाएं
न्यूज़ डेस्क : WATAN KI HIFAZAT (WKHNEWS24.COM) |
UP News: प्रदेश सरकार की सख्ती और किसानों को प्रोत्साहन देने की नीति ने पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी लाने में अहम भूमिका निभाई है। पिछले सात सालों में पराली जलाने के मामलों में लगभग 46 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में जहां 8 हजार 784 घटनाएं हुई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 3 हजार 996 रह गई। सरकार की यह मुहिम अभी भी जारी है, जिसमें किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और कम्पोस्टिंग के लाभों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
बायो डी-कंपोजर से किसानों को लाभ
UP News: प्रदेश सरकार किसानों को लगातार पराली जलाने से बचने और उसे कम्पोस्टिंग या सीड ड्रिलिंग के ज़रिये खेत में ही निपटाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार बायो डी-कंपोजर भी उपलब्ध करा रही है। एक बोतल बायो डी-कंपोजर से एक एकड़ भूमि में पराली की कम्पोस्टिंग की जा सकती है। साथ ही, पराली जलाने पर 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है, जिससे किसान इसे जलाने के बजाय अन्य उपाय अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
पराली कम्पोस्टिंग के फायदे
UP News: पराली जलाने से मिट्टी के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (NPK) के साथ भूमि के सूक्ष्मजीव भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता कम होती है। एक अध्ययन के अनुसार, प्रति एकड़ पराली जलाने पर 400 किलो उपयोगी कार्बन और मिट्टी में मौजूद अरबों की संख्या में सूक्ष्मजीव भी नष्ट हो जाते हैं। इसके विपरीत अगर पराली की कम्पोस्टिंग की जाए तो मिट्टी को यह पोषक तत्व वापस मिलते हैं, जिससे अगली फसल में 25 प्रतिशत तक उर्वरक की बचत होती है और खेती की लागत में कमी आती है। साथ ही, यह पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में भी मददगार साबित होता है।
कृषि के लिए जल संरक्षण में मदद
UP News: पराली के अवशेष खेत में छोड़ने से मिट्टी की नमी संरक्षित रहती है, जिससे भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है और सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। इससे न केवल सिंचाई की लागत घटती है बल्कि दुर्लभ जल स्रोतों का संरक्षण भी होता है। सरकार के इन प्रयासों से किसान धीरे-धीरे पराली जलाने के बजाय उसकी कम्पोस्टिंग और अन्य विकल्पों को अपनाने लगे हैं, जिससे आने वाले वर्षों में भी यह सकारात्मक बदलाव जारी रहने की उम्मीद है।
राजस्व कर्मियों की ड्यूटी को लेकर आया आदेश
खरीफ फसलों की कटाई के समय को नजदीक देखते हुए योगी सरकार की ओर से सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं । खासकर फसल कटाई की अवधि के दौरान राजस्व कर्मियों को अन्य ड्यूटी में नहीं लगाने के लिए कहा गया है। सिर्फ विशेष परिस्थितियों में ही उन्हें अन्य ड्यूटी पर लगाया जा सकेगा, जिसका अधि कारियों को अनिवार्य रूप से कारण बताना होगा। इसके अतिरिक्त उपजिलाधिकारी और तहसीलदारों को फसल कटाई प्रयोगों के संपादन की समीक्षा के लिए कहा गया है। इसके अलावा सभी जनपदों में कृषि, राजस्व एवं विकास विभाग के अधिकारियों को 15 प्रतिशत अनिवार्य निरीक्षण के लिए नामित करने के लिए कहा गया है।
वहीं, फसल कटाई के बाद पोर्टल पर कटाई प्रयोगों का परीक्षण कर ही उपज तौल अनुमोदित करने के निर्देश दिए गए है। हाल ही में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के सामने हुई प्रजेंटेशन में बताया गया कि सीसीई एग्री एप के माध्यम से खरीफ 2022 से भारत सरकार के निर्देशानुसार आवश्यक रूप से 100 प्रतिशत क्रॉप कटिंग लागू है. फसल बीमा में ली गयी फसलें खरीफ – धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, उर्द, मूँग, तिल, मूँगफली, सोयाबीन व अरहर (10 फसलें) और रबी- गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू (08 फसलें) शामिल हैं. सीसीई एग्री ऐप से क्रॉप-कटिंग कराने के लिए राजस्व परिषद, उप्र से निर्देश जारी किए जा चुके हैं ।