23 December 2024

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UP By-Election: उपचुनाव की सभी 10 सीटों पर बसपा उतारेगी प्रत्याशी

UP By-Election

उपचुनाव की सभी 10 सीटों पर बसपा उतारेगी प्रत्याशी

Report By – Maan Singh (Uttar Pradesh Bureau)

Mayawati announcement: बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनावों (UP By-Election) में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करने का ऐलान किया है। रविवार को पार्टी प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में उन्होंने प्रदेश के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के साथ बैठक में यह बात कही। मायावती ने कहा कि भले ही उपचुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भाजपा (BJP) और उनकी सरकार द्वारा इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने से चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। बसपा उपचुनाव में ((UP By-Election)) सभी सीटों पर दमदार उम्मीदवार उतारकर मजबूती से मुकाबला करने के लिए तैयार रहेगी।

पिछली बैठक की प्रगति रिपोर्ट

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यूपी में भी बाढ़ के कारण काफी लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कानून-व्यवस्था के मामले में भी सरकार की सख्ती कागजों पर ज्यादा है और यह भाजपा के लोगों पर बेअसर है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही सरकारी जमीन लीज पर देने के मामले में सरकार का रवैया द्वेषपूर्ण व पक्षपात वाला है। मायावती ने पिछली बैठक में पार्टी का जनाधार बढ़ाने से लेकर संगठन को लेकर दिए अन्य निर्देशों से संबंधित रिपोर्ट ली। आगामी उपचुनाव में (UP By-Election) बेहतर प्रदर्शन के लिए जमीनी तैयारियों का भी जायजा लिया और निर्देश दिए। मायावती ने कहा कि यूपी समेत पूरे देश में गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और पिछड़ेपन को रोक पाने में सरकार की विफलता के कारण लोगों में आक्रोश है। इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सरकार विध्वंसक बुलडोजर राजनीति, जाति और धार्मिक उन्माद व विवाद पैदा करने का षडयंत्र रच रही है।

पूरी दमदारी से उपचुनाव लड़ेगी बसपा

मायावती ने कहा कि यूपी में रिक्त हुए दस विधानसभा की सीटों पर (UP By-Election) होने वाले उपचुनाव के बारे में अभी चुनाव के तारीख की अधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन, इसको लेकर सरगर्मी लगातार बढ़ रही है। खासकर भाजपा व इनकी सरकार के इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लेने के कारण इन उपचुनावों में लोगों की रुचि काफी बढ़ी है। बसपा ने भी इन उपचुनावों में सभी सीटों पर (UP By-Election) अपने उम्मीदवार उतारने व पूरी दमदारी के साथ लड़ने का फैसला किया है।

लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा षड्यंत्र

मायावती ने कहा कि केन्द्र व यूपी की भाजपा सरकार खासकर गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि को रोक पाने में सरकार की विफलता के कारण लोगों में आक्रोश है। बल्कि इस ओर समुचित ध्यान भी नहीं दे रही है। इस वजह से आम जनता में जबरदस्त नाराजगी है। इसीलिए इन मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इनका विध्वसंक बुलडोजर राजनीति सहित हर प्रकार का नया जाति व धार्मिक उन्माद, विवाद पैदा करने का षड्यंत्र लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से खासकर धर्म परिवर्तन पर नया कानून व जाति के आधार पर सदियों से तोड़े एवं पछाड़े गए एससी-एसटी समाज के लोगों का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर करने का यह नया षड्यंत्र किया गया। ये लोगों को बांटने का प्रयास है।

मस्जिद-मदरसा संचालन व वक्फ संरक्षण में सरकारी दखलअंदाजी

उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से इनकार से लेकर मस्जिद-मदरसा संचालन व वक्फ संरक्षण आदि में जबरन सरकारी दखलअंदाजी आदि की जा रही है। जबकि गरीब व मेहनतकश जनता आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीने के लिए इज्जत की रोटी-रोजगार की भूखी है। इस पर सरकार का समुचित ध्यान नहीं देना क्या उचित है?

कानून-व्यवस्था के मामले में सरकार की सख्ती कागजों पर ज्यादा, भाजपा पर बेअसर

मायावती ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ के कारण काफी लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसको लेकर मदद देने के बारे में भी राज्य सरकार की अखबारी बयानबाजी ज्यादा है और जमीन पर राहत कम। इसी प्रकार, कानून-व्यवस्था के मामले में सरकार की सख्ती कागजों पर ज्यादा लगती है तथा इसका भाजपा के लोगों पर ही तो सबसे कम ही प्रभाव देखने को मिलता है यानी भाजपा वालों पर यह बेअसर ही है। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि एक तरफ तो यूपी सरकार ने नजूल की जमीन के संबंध में जल्दबाजी में फैसला लेकर पूरे राज्य में अफरातफरी का माहौल पैदा कर दिया, तो दूसरी तरफ सरकारी जमीन लीज पर देने के मामले में भी द्वेष व पक्षपात का रवैया सामने आने लगा है, जिससे खुद भाजपा के भीतर भी स्वाभाविक तौर पर बेचैनी व इसकी मुखाल्फत देखने को मिली है।

एससी-एसटी समाप्त करने की साजिश में कांग्रेस, भाजपा व सपा शामिल

मायावती ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के लोगों को आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने और अन्ततः समाप्त करने की गहरी साजिश लगातार की जा रही है। कभी कांग्रेस, भाजपा व सपा सीधे तौर पर तो कभी कोर्ट का सहारा ले रही है। जबकि इस मामले में अंबेडकरवादी बसपा ही दलितों व बहुजनों की असली हितैषी पार्टी है।

एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर पर उठाए सवाल

मायावती ने कहा कि एससी-एसटी (SC- ST) वर्गों के लोगों को जब सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की सुविधा प्रदान की गयी है तो तब फिर इसमें क्रीमी लेयर का सवाल ही कहां से पैदा होता है? सुप्रीम कोर्ट के 9-जजों की संविधान पीठ ने 1992 के इंदिरा साहनी केस में स्पष्टतः कहा कि क्रीमी लेयर का मामला केवल ओबीसी से सम्बंधित है, किसी भी प्रकार से एससी-एसटी वर्ग से नहीं, जिसको ध्यान में रखकर भी केन्द्र सरकार को अब अविलम्ब उचित निर्णय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साथ ही, इन वर्गों के लोगों का उपवर्गीकरण करने की सोच अनुचित है, जबकि बसपा का मूवमेंट केवल एससी व एसटी समाज की जातियों को जोड़ना ही नहीं बल्कि ओबीसी वर्ग के लोगों को भी साथ में जोड़कर राजनीतिक शक्ति बनकर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करना है।

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