
Report By –Banarsi (Lucknow Correspondent)Edited By- Maan Singh (Uttar Pradesh Bureau) |
Revenue Code Changes: उत्तर प्रदेश में जमीनों के दाखिल खारिज (नामांतरण) के मामलों में अब अनावश्यक देरी नहीं चलेगी। शासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए यह सुनिश्चित किया है कि जमीनों की रजिस्ट्री के बाद विवाद न होने की दशा में उस जमीन का दाखिला खारिज 45 दिनों के अंदर करना होगा। विवादित मामलों में 90 दिन में फैसला करना होता है। इस नई व्यवस्था के तहत, दाखिल खारिज में देरी होने पर अब सीधे जिलाधिकारी (DM) और मंडलायुक्त (Commissioner) को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद सख्त निर्देश
यह महत्वपूर्ण निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दाखिल खारिज के मामलों में हो रही देरी पर जताई गई सख्त नाराजगी के बाद लिया गया है। प्रमुख सचिव राजस्व, पी. गुरुप्रसाद ने इस संबंध में एक शासनादेश जारी करते हुए सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को कड़े निर्देश भेजे हैं। शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व संहिता-2006 की धारा 34/35 के तहत अंतरण मामलों में अविवादित नामांतरण का वाद 45 दिनों में और विवादित होने पर 90 दिनों में निस्तारित किया जाएगा। शासन की जानकारी में आया है कि कई जिलों में इन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था, जिसके चलते हाईकोर्ट में लगातार रिट याचिकाएं दाखिल हो रही थीं।
प्रार्थनापत्र लटकाने वालों पर होगी सख्ती
Revenue Code Changes: अब धारा-34 के तहत प्राप्त, लेकिन पंजीकरण के लिए लंबित मामलों को राजस्व परिषद केस मैनेजमेंट सिस्टम (RCCMS Portal) पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराया जाएगा। जानबूझकर प्रार्थना पत्रों को लटकाए रखने वाले कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। नामांतरण वादों का समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित किया जाएगा। दाखिल खारिज से संबंधित गैर-विवादित मामलों में किसी भी स्थिति में 45 दिनों से अधिक का समय नहीं लगाया जाएगा।
मंडलायुक्त और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कार्ययोजना बनाकर लंबित मामलों की समीक्षा करें और तहसील स्तर पर पीठासीन अधिकारियों को समयबद्ध निस्तारण के लिए जवाबदेह बनाएं। हाईकोर्ट के आदेशों वाले मामलों की सुनवाई प्रतिदिन तय तिथि पर होगी। निर्देशों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का प्रस्ताव शासन और राजस्व परिषद को भेजा जाएगा।
क्या होता है दाखिल खारिज
जब जमीन की बिक्री या दान के चलते स्वामित्व (Ownership) परिवर्तित होता है तो राजस्व रिकॉर्ड (Revenue Records) में नए मालिक का नाम दर्ज किया जाता है और पुराने मालिक का नाम हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को दाखिल खारिज किए जाना कहा जाता है। दरअसल इसमें राजस्व रिकॉर्ड में नामांतरण होता है। उत्तराधिकार के नियमों के तहत भी यह नामांतरण होता है।
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