
News Desk: WKHNEWS24 |
Kanpur News: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। फर्जी दरोगा बनकर फर्नीचर कारोबारी से 15 लख रुपये की ठगी की थी। जिसके बाद फर्जी दरोगा बन ठगी करने वाला अरेस्ट किया गया है। आरोपी कभी एसीपी ऑफिस तो कभी उन्नाव में तैनाती बताता था। उसके पास से वर्दी, आईएएस को प्रशिक्षण देने वाली संस्था का आई कार्ड मिला है।
कल्याणपुर पुलिस ने एक फर्जी दरोगा को गिरफ्तार किया है। यह दरोगा की वर्दी पहनकर लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम देता था। यह दरोगा पिछले काफी समय से पुलिस का रौब दिखाकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा था। फर्जी दरोगा ने अपने दोस्त और साले के साथ मिलकर दोस्त के ससुर फर्नीचर कारोबारी से 15 लख रुपये की ठगी की थी। जब पैसे वापस नहीं मिले तो पीड़ित ने मामले की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर आरोपी फर्जी दरोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
क्या है पूरा मामला
Kanpur News: कल्याणपुर निवासी चंदेश्वर सिंह ने पुलिस को बताया कि उनका दामाद सागर अपने दोस्त संजीव कुमार यादव को लेकर आया था। परिचय देते हुए बताया कि यह एसीपी कार्यालय में दरोगा है। कल्याणपुर के गोवा गार्डन में रहते हैं। इन्हें अपनी पत्नी नेहा के नाम जमीन की रजिस्ट्री करानी है, अभी इनके पास पैसे नहीं है। आप इन्हें 15 लाख रुपये दे दीजिए। दामाद के भरोसे पर चंदेश्वर सिंह ने सितंबर 2023 को 15 लाख रुपये दे दिए। बदले में आरोपी संजीव ने एक चेक दे दी। इसके बाद से कई बार चेक अकाउंट में लगाई, लेकिन खाते में रकम न होने की वजह से चेक क्लीयर नहीं हुआ। आखिरी बार 7 अगस्त को चेक डिशऑनर हो गया, तब ठगी का पता चला। इसके बाद पीड़ित ने कल्याणपुर थाने में तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने फर्जी दरोगा को पकड़ लिया। पुलिस मुकदमे में नामजद अन्य आरोपियों की भी तलाश कर रही है।
फिल्में देखकर प्रेरित हुआ
Kanpur News: एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडे ने बताया कि आरोपी का नाम संजीव कुमार यादव है। मूल रूप से राठौरा नगला मोहम्मदाबाद फर्रुखाबाद का रहने वाला है। इन दिनों वह कल्याणपुर में मल्होत्रा समिति गोवा गार्डन में रह रहा था। पुलिसिया पूछताछ में फर्जी दरोगा संजीव ने बताया कि वह बचपन से फिल्म देखने का शौकीन था। दरोगा का रौब उसे बहुत अच्छा लगता था। फिल्मों में उसने देखा कि कैसे दरोगा लोगों पर रौब गांठता है। उसी तरह से उसने रौब गाठना शुरू कर दिया। निजी वाहनों से मुफ्त यात्रा करना, टोल प्लाजा पर वर्दी और आई कार्ड दिखाकर निकल जाना, मुफ्त में खाना पीना और लोगों पर रौब दिखाकर उनसे वसूली करना ही फर्जी दरोगा संजीव का शौक बन गया था।
हर काम पुलिस जैसा…
अभिषेक पांडे ने बताया कि जब पुलिस ने उसके घर की अलमारी की तलाशी ली, तब सात जोड़ी वर्दी, 12 जोड़ी जूते, वर्दी में लगाने वाला स्टार और दरोगा की चार कैप मिली है। वह लोगों को उन्नाव जीआरपी में तैनाती बताता था। पत्नी से पूछताछ में सामने आया कि हर रोज सुबह पुलिस लिखी ऑल्टो कार से वह ड्यूटी के लिए रवाना हो जाता था। कहां रहता था और क्या करता था, इसकी पूछताछ हो रही है।
कॉलोनी के लोगों ने बताया कि संजीव अक्सर मोबाइल पर घूम-घूमकर बात करता था, कहता था उस अपराधी को पकड़ लो, उसका मोबाइल सर्विलांस पर लगा दो। वह अपने साथ एक डायरी रखता था। डायरी के अंदर उन्नाव की दो एफआईआर की कॉपी भी मिली है। इतना ही नहीं, डायरी में पुलिस पैटर्न का एक क्राइम सीन का नजरी नक्शा भी बना हुआ था।
डायरी के अलग-अलग पन्नों पर जिस तरह से पुलिस वाले लोगों की डिटेल नोट करते हैं, ठीक उसी तरह कई अपराधियों का सिजरा और घटनाक्रम की डिटेल लिखी थी। उन्होंने बताया कि संजीव पुलिस लाइन के सामने शमी श्रीवास्तव टेलर की दुकान से वर्दी सिलवाता था। उसने 7 दिन पहले ही नई वर्दी सिलवाई थी। पुलिस ने टेलर को फोन किया तो उसने बताया कि संजीव करीब 5 साल से वर्दी सिलवा रहे हैं।
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